चंडीगढ़/नई दिल्ली, 8 मई
पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण Minister Gurmeet Singh Khudian ने आज केंद्र सरकार से अपील की है कि वह राज्य में फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए खरीफ सीजन के दौरान धान के विकल्प के तौर पर मक्का, कपास और अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती करने वाले किसानों को 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर के (Kharif Crops) हिसाब से नकद प्रोत्साहन राशि दे।
स. खुड्डियां ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 10 जून, 2024 को जारी पत्र के माध्यम से फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सी.डी.पी.) के तहत राज्य में धान के विकल्प संबंधी संशोधित निर्देश जारी किए गए थे। उन्होंने बताया कि इसके तहत खरीफ सीजन के दौरान धान की जगह कोई अन्य वैकल्पिक फसल की खेती करने वाले किसानों को 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से नकद प्रोत्साहन राशि देने के बारे में कहा गया था। उन्होंने कहा कि इस पत्र के मुताबिक प्रति किसान 5 हेक्टेयर तक इस योजना के तहत लाभ ले सकता है। इस पत्र की निरंतरता में पिछले साल नवंबर और दिसंबर में दो और जारी किए गए पत्रों में इस नकद प्रोत्साहन राशि देने का कोई जिक्र नहीं किया गया, जिसने किसानों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है।
स. गुरमीत सिंह खुड्डियां आज यहां केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा यहां पूसा कॉम्प्लेक्स में खरीफ की फसलों संबंधी आयोजित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-2025 में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज चौहान ने किया।
खुड्डियां द्वारा केंद्र सरकार से फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये प्रोत्साहन राशि देने की अपील
पंजाब के कृषि मंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा पहले ही भारत सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह पराली के उचित प्रबंधन पर आने वाले अतिरिक्त खर्च के बदले किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देकर समर्थन और सहयोग करे ताकि पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण के खतरे से निपटा जा सके। उन्होंने दोहराया कि इस संबंध में पंजाब सरकार अपना बनता योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
पंजाब के कृषि मंत्री ने मांग की कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण के प्रति किसानों को प्रेरित करने के लिए उक्त नकद प्रोत्साहन राशि की योजना को बिना देरी लागू करे ताकि पंजाब सरकार द्वारा इस क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को और मजबूती मिल सके। उन्होंने कहा कि कपास की फसल के तहत पहले पंजाब में रकबा 8 लाख हेक्टेयर के करीब था जो अब घटकर एक लाख हेक्टेयर के करीब रह गया है। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय सहायता से जहां वैकल्पिक फसलों की बुवाई की ओर किसान सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे वहीं राज्य सरकार द्वारा भूजल को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को अमलीजामा पहनाने में भी यह योजना कारगर साबित हो सकती है। Kharif Crops
खादों की निर्धारित और नियमित आपूर्ति की मांग करते हुए स. खुड्डियां ने कहा कि पंजाब केंद्रीय पूल में 21 प्रतिशत धान और 46 प्रतिशत गेहूं का योगदान देता है जो कि खादों की वांछित मात्रा की निरंतर आपूर्ति के कारण ही संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि रबी के मौसम के दौरान फास्फेटिक खादों की आमतौर पर कमी आती है। इसलिए यह जरूरी है कि खरीफ के मौसम से ही इन खादों की आपूर्ति निरंतर बनाए रखी जाए। Kharif Crops
Kharif Crops: पराली प्रबंधन पर आने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए केंद्र से प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजे की भी मांग
इस दौरान स. खुड्डियां ने केंद्र सरकार से गेहूं के बीज पर सब्सिडी जारी रखने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुमानों के अनुसार देश को आने वाले समय में 345 मिलियन मीट्रिक टन अनाज की आवश्यकता होगी जो कि इस समय 298.82 मिलियन मीट्रिक टन है। इन अनुमानों के अनुसार देश को आवश्यक मात्रा में पूरा करने के लिए अनाज वाली फसलों के क्षेत्र या उत्पादन में वृद्धि करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि परिषद के अनुसार हर साल गेहूं का 33 प्रतिशत बीज बदलने की जरूरत है जिसके लिए लगभग 20 करोड़ रुपये आवश्यक हैं। लेकिन भारत सरकार द्वारा एन.एफ.एस.एम. और आर.के.वी.वाई. योजनाओं के तहत गेहूं के बीज पर सब्सिडी बंद कर दी गई है। इस सब्सिडी को देश की बढ़ती आबादी को भोजन देने के बड़े हित के लिए जारी रखा जाना चाहिए।
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